देश में 7684 तरह के कोरोना वायरस, दक्षिणी राज्यों में सबसे ज्यादा: शोध में दावा

देश में 7684 तरह के कोरोना वायरस, दक्षिणी राज्यों में सबसे ज्यादा: शोध में दावा

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस को लेकर हैदराबाद स्थित सीसीएमबी के वैज्ञानिकों का दावा है कि 6017 जीनोम सिक्वेंसिंग के आधार पर देश में 7684 तरह के कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला है। उनका ये भी कहना है कि इनमें दक्षिणी राज्यों में सबसे ज्यादा हैं। यहां एन440 के कोरोना वायरस का स्वरूप काफी तेजी से फैला है। तेलंगना में 987 और आंध्र प्रदेश में 296 स्वरूप कोरोना वायरस के मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के नए स्वरूप का सटीकता से पता लगाने के लिए देश में वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग को लेकर और भी ज्यादा काम करने की जरूरत है।

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देश के 22 राज्यों की 35 लैब से सैंपल एकत्रित करने के बाद वैज्ञानिकों ने जीनोम सिक्वेंसिंग की थी। इसमें एक दर्जन से ज्यादा कोरोना के क्लेड भी मिले हैं। हैदराबाद स्थित सीएसआईआर- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा का कहना है कि भारत में अब तक सात हजार से ज्यादा कोरोना के स्वरूप मिल चुके हैं। इनमें से कुछ ही स्वरुप ज्यादा तीव्र और घातक हैं। इसके लिए एक अलग से अध्ययन करने की जरूरत है। दक्षिणी राज्यों में कोरोना फैलने की वजह इन्हीं में से कुछ स्वरुप हो सकते हैं। हालांकि यहां एक तथ्य यह भी है कि दुनिया के दूसरे देशों में कोरोना के जो स्वरूप मिले हैं उनकी मौजूदगी भारत में बहुत कम है।

देश में वायरस के खतरनाक स्वरूप कम

डॉ. राकेश ने बताया कि ‘एन440के’ के प्रसार की स्थिति को समझने के लिए करीबी निगरानी जरूरी है। कई देशों में खौफ पैदा करने वाले नए स्वरूप के मामले भारत में बहुत कम हैं। इसमें ‘ई484 के’ और ‘एन501वाई’ स्वरूप भी है। हालात बिगड़ने से पहले नए स्वरूप का समय रहते पता लगाना बहुत जरूरी है। इसीलिए कोरोना के स्वरुपों पर अध्ययन जारी है। लोगों को बचाव के लिए कोरोना संबंधी नियमों का हर हाल में पालन करना होगा।

जरूरत के मुताबिक नहीं कर पाए सिक्वेंसिग

देश में नए क्लेड और स्ट्रेन की कम मौजूदगी का एक कारण यह भी हो सकता है कि पर्याप्त सिक्वेंसिंग नहीं हुई है। सीसीएमबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्य तेज सोवपति का कहना है कि अब तक केवल छह हजार सैंपल का ही जीनोम सिक्वेंसिंग हुआ है जबकि एक करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। वायरस के नए स्वरूप का सटीकता से पता लगाने के लिए देश में वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग को लेकर और भी ज्यादा काम करने की जरूरत है।

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